एक मुस्लिम और एक ईसाई के सफर का वाक्या |
✍️ (Mohd Afzal)
एक बार की बात है एक मुसलमान और एक ईसाई दोनो सफर के साथी बने क्योंकि दोनों को एक ही मंज़िल पर जाना था। लिहाज़ा उन्होंने सोचा कि इकट्ठे सफ़र अच्छा गुज़रेगा। अभी मंजिल पर पहुँचने में दो दिन बाकी थे कि दोनों का सफ़र में खाने का सामान ख़त्म हो गया।
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islamic story hindi-दोनो आपस में सोच-विचार करने बैठे। मुसलमान ने मशवरा दिया कि एक दिन आप दुआ करें कि हमे खाना मिले दूसरे दिन मैं दुआ करूंगा कि खाना मिले। ईसाई ने कहा पहले आप दुआ करें। लिहाजा मुसलमान ने एक तरफ होकर अपने परवरदिगार से दुआ मांगी तो थोड़ी देर में एक आदमी गर्म गर्म खाने के तश्त लेकर आ गया ये देख कर मुसलमान बहुत खुश हुआ कि अल्लाह तआला ने मेरी इज़्ज़त रख ली।
islamic story hindi-खाना खाकर दोनों चैन की नींद सो गए। दूसरे दिन ईसाई की बारी थी। वह देखने में बड़ा सुकून में नज़र आ रहा था। उसने एक तरफ़ होकर दुआ की। थोड़ी देर में पहले दिन से दुगना खाना आया। ईसाई की खुशी की हद न रही मुसलमान दिल ही दिल में बहुत परेशान हुआ उसका जी ही नहीं चाहता था कि खाना खाए।
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islamic story hindi-ईसाई ने उसे उदास देखा तो कहने लगा आप खाना खाएं तो मैं आपको दो खुशखबिरयाँ सुनाऊँगा जब खाने से फारिग हो गए तो मुसलमान ने पूछा कि बताएं क्या खुशख़बरी है। ईसाई ने कहा पहली खुशख़बरी तो यह कि मैं कलिमा पढ़कर मुसलमान होता हूँ और दूसरी खुशख़बरी यह है कि मैंने यह दुआ मांगी थी कि ऐ अल्लाह अगर इस मुसलमान का आपके यहाँ कोई मक़ाम है तो आप खाना अता फरमा दें।
लिहाज़ा अल्लाह तआला ने खाने के दो तश्त आपके इकराम की वजह से अता फरमाए। आशिक सादिक की अल्लाह तआला के यहाँ बड़ी कद्र व कीमत होती है
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4 टिप्पणियाँ
Kya main aapki post ko YouTube per dal sakti hun
जवाब देंहटाएंNahi
हटाएंBahut khoob
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्यारी कहानी है
जवाब देंहटाएंअस्सलामू अलैकुम