इंसान की जिंदगी और कब्र | Beutiful Story In Hindi

इंसान की जिंदगी और कब्र | Beutiful Story In Hindi
इंसान की जिंदगी और कब्र 

स्पेन से कम्बल मंगवाए सोने के लिए, दस बरस भी न सोने पाए थे कि हमेशा के लिए मिट्टी की चादर ओढ़कर सो गए, बड़े सारे डिज़ाइन देखकर पलंग बनवाए बैड बनवाए और जब उठे तो एक पल में उठकर चले गए और जाकर मिट्टी के बिस्तर पर हमेशा के लिए सो गए, 

Islamic story-अपनी ख़्वाबगाह में बड़े डिज़ाईन की लाईटें लगवायीं बड़े खूबसूरत कुमक़मों में बल्ब लगाए और कुछ दिन भी नहीं रहने पाए थे कि उठकर अंधेरी कोठरी में जाकर सो गए। हर वक्त अपने घर को चमकाने वाले जाकर वहशत और तन्हाई के घर में और कीड़ों के साथ जाकर सो जाते हैं,  

Islamic story-बदन पर कोई च्युंटी आ जाए तो आदमी उसको झाड़ देता है, मार देता है, आज उसके बदन पर करोड़ों कीड़े फिर रहे हैं, जिस चेहरे को गर्मी से बचाता है, सर्दी से बचाता है, भूख से बचाता है, थकन से बचाता है उसी चेहरे पर आज कीड़ों का हमला है कोई इसकी आँख खा रहा है, कोई इसकी खाल खा रहा है, कोई इसकी ज़बान नोच रहा है, कोई इसकी टाँगों को लगा हुआ है और वह पेट जिसके भरने के लिए सारी ज़िन्दगी धक्के खाता रहा, वही पेट कब्र में सबसे पहले फट जाता है 

अल्लाह तआला ने फरमाया कि ऐ मेरे बन्दे ! दुनिया को लालच की नज़र से मत देखा कर, कब्र में सबसे पहले तेरे वजूद को जो कीड़ा खाता है वह तेरी आँखें ही होती हैं, सबसे पहले यही शमा बुझती है और सबसे पहले इसी को अल्लाह निकालता है और कीड़ों को खिला देता है।

Islamic story-तो जिस इन्सान का यह हैरतनाक अन्जाम हो कि मौत उसकी शिकारी हो, आफ्तों के फंदे उसके चारों तरफ कायम किए जा चुके हों, मुसीबतों की खाईयाँ क़दम कदम पर उसके लिए खोदी गई हों, गमों के बादल कभी उसके ऊपर से हटते ही न हों, खुशियों की किरन बिजली की चमक की तरह आकर गुज़र जाती हो, परेशानियों और फिकरों के समुंद्रों में डूबा हुआ हो, और बीमारियाँ उसके साथ अपना रोल अदा कर रही हों, 

दोस्तों की बेवफाईयाँ और औलाद की नाफरमानियाँ उसके दिल पर नश्तर चला रही हों, कब्र उसको रोज़ाना पुकार रही हो, मैं तन्हाई का घर हूँ, मैं अंधेरों का घर हूँ, कीड़े मकोड़ों का घर हूँ, मेरे पास आना है तो कोई सामाने सफ़र लेकर आना आप ज़रा ज़िन्दगी की गहराई में देखें कि यह कितनी बेपाएदार, बेसबात, बेवफा बे क़रार ज़िन्दगी है 

Islamic story-कि जहाँ एक पल इन्सान को करार नहीं, कहीं एक पल इन्सान को ठहराव नहीं, थोड़ी सी खुशियाँ देखता है और फिर चारों तरफ़ ग़मों के बादल एक खुशी को लेने के लिए लाखों पापड़ बेलने पड़ते हैं और वह खुशी आती है और चली जाती है, भला यह भी ज़िन्दगी है।

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अस्सलामू अलैकुम