अल्लाह के दीदार की चाहत | Allah ke didar ki chahat beutifull storie | In hindi

अल्लाह के दीदार की चाहत | Allah ke didar ki chahat beutifull storie | In hindi
अल्लाह के दीदार की चाहत | Allah ke didar ki chahat beutifull storie | In hindi

एक बार हाजी इमदादुल्लाह मुहाजिर मक्की रह० के पास एक आदमी आया,

islamic story in hindi-वह कहने लगा हज़रत ज़िक्र व अज़्कार और इबादत में जिंदगी गुज़र गई मगर मेरा दिल एक तमन्ना की वजह से जल रहा है, जी चाहा कि आज आपके सामने वह तमन्ना ज़ाहिर कर दूँ। आपने पूछा कौन सी तमन्ना है? कहने लगा हज़रत इमाम अहमद बिन हंबल रह० को ख़्वाब में सौ बार अल्लाह तआला का दीदार हुआ, मेरा भी जी चाहता है कि मुझे भी अपने ख़ालिक का दीदार नसीब हो जाए।

हाजी साहब रह० तबियत के समझने में माहिर थे,

फरमाने लगे आज तुम इशा की नमाज़ पढ़ने से पहले सो जाना। वो आदमी सोचने लगा और उसने कहा हजरत ये कैसी बात हुई के बिना नमाज अदा करे सो जाऊं उन्होंने कहा हां इसमें हिकमत थी मगर वह बंदा समझ न सका। वह घर आया। जब मग़रिंब के बाद 

का वक्त हुआ तो सोचने लगा कि हज़रत ने फरमाया था कि इशा की नमाज़ पढ़े बगैर वैसे ही सो जाना लेकिन फ़र्ज़ तो आख़िर फ़र्ज है। चलो मैं फ़र्ज़ पढ़कर सुन्नत छोड़कर सो जाऊँगा और बाद में पढ़ लूंगा। लिहाजा वह फर्ज़ पढ़कर सो गया।

रात को ख़्वाब में नबी अलैहिस्सलातु वस्सलाम का दीदार नसीब हुआ,

(आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) ने फरमाया तुमने फ़र्ज़ तो पढ़ लिए मगर सुन्नतें क्यों न पढ़ीं उसके बाद उसकी आँख खुल गई। सुबह आकर उसने हाजी साहब रह० को बताया,

हाजी साहब रह० ने फ़रमाया,

islamic story in hindi-ओ अल्लाह के बंदे! तूने इतने साल नमाज़े पढ़ते हुए गुज़ार दिए, भला अल्लाह तआला तेरी नमाज़ कज़ा होने देते, कभी ऐसा न होता वह तेरे अमलों की हिफाज़त फ़रमाते अगर तू मग़रिब के बाद सो जाता तो ख़्वाब में अल्लाह तआला का दीदार भी हो जाता, वह तुझे जगा भी देते और तुझे इशा की तौफीक भी अता फरमा देते। 

मगर तू राज़ को न समझ सका । तूने सिर्फ सुन्नतें छोड़ दीं तो महबूब (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का दीदार हुआ अगर तू फ़र्ज़ छोड़ देता तो तुझे अल्लाह तआला का दीदार नसीब हो जाता बेशक सुभान अल्लाह

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