अल्लाह के 99 नाम मायने के साथ | 99 Names of Allah with meaning and benefits in | Hindi

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99 Names of Allah with meaning and benefits in Hindi

 अल्लाह के 99 नाम जिसे अस्मा ए हुस्ना कहते हैं जो बड़ा ही बरकत वाला है

        

कुरान मजीद मेंअल्लाह तआला के नामों को अस्माए हुसना  यानी सबसे अच्छे नाम कहा गया है इन नामों के शुरू में अब्द,उबैद अता,या आखिर में मुनासिब लफ़ज़ को जोड़ देना चाहिए जैसे अब्दुल्लाह, उबैदुर्रहमान,(99 Names of Allah)अताऊल बारी वगैरह इसलिए जब भी किसी बच्चे का नाम रखने की बारी आए तो सब से पहले अल्लाह  तआला के इन अच्छे नामों पर ध्यान दें और ऐसे ही नाम रखें ताकि इन के असरात भी बच्चे पर अच्छे पड़ें और हदीस में इन नामों के याद करने पर जन्नत का वादा भी बताया गया है।               


1

 الرحمن
 अर-रहमान

अल्लाह का ये नाम अल्लाह के अपनी मख़लूक़ के लिए कुशादा रहमत वाला होने पर दलाला करता है, जिस की रहमत तमाम मखलोक़ात को शामिल है, और ये नाम अल्लाह तआला के लिए खास है, अल्लाह के सिवा किसी भी मखलूक को रहमान कहना जायज नहीं है। 


2

الرَّحِيم
 अर-रहीम

वो ज़ात के जो अपने मु'मिन बंदे बंदियों पर बारोज़-ए-कयामत रहेम करने वाला है, (99 names of Alla) और उन्हें बख्शने वाला है, चुनंचे अल्लाह ने उन्हे अपनी इबादत की तौफीक बख्शी, और आखिरत में अपनी इबातत के सिले में जन्नत में दाखिल फरमा कर इज्जत बकसने वाला है 


الملك 
अल-मलिक

अल्लाह ही हक़ीक़ी बादशाह है और इशी को ये हक है के वो जिस काम को चाहे अपने बंदों को हुक्म करे और जिस काम से चाहे बंदो को मना करे, वो अपने हुकम और फेल से अपनी मखलोक़ात में तसारूफ करता है। सल्तनत को उमदगी से चलाने या अपनी मखलूक का भरपुर ख्याल रखने में अल्लाह पर किसी को भी फजीलत हासिल नहीं है।


4

 الْقدوس
 अल-कुद्दुस

अल्लाह वो है के जो हर ऐब वा नुकसान से बिलकुल पाक है।


5

 السلام
 अस-सलाम

अल्लाह वो है के जो अपनी बे-मिसाल ज़ात अपने बुलंद औसाफ और अपने ख़ूबसूरत नामो और अपने तमाम उमदा कामो में सलामती वाला है और दुनिया वा आखिरत की हर सलामती अल्लाह ही की मिल्कियत है और इन्ही की अता करदा है वह हर नक्स वा ऐब से मेहफूज है और तमाम मखलोक़ात को हर उस चीज़ से महफूज़ वा सलामत रखने वाला है जो मखलूक़ को नुक़सान पोहंचाने वाली है।

6

 الْمَمِنَ
 अल-मुमिन

अल्लाह वो है जो अपने रसूलों और उनके पैरोंकारों की सच्ची और उनकी सदाकत पर दलालत करने वाला (बाराहीन यानी) दलील वा हुज्जतों की तस्दीक करने वाला है, और हर तरह का अमन भी इन्हें अल्लाह ही की जानिब से मिलता है अल्लाह ने अपने ईमान वाले बंदो को इस बात की जमानत दी है के वो इन पर जर्रा बारबार भी ज़ुल्म न करेगा, इनहे (दायमी) अज़ाब ना देगा, और ना बरोज़-ए-क़यामत में कोई घबराहट वा परेशानी की कैफ़ियत लाहक होगी।

7

 الْمَهَيْمِنَ
 अल-मुहैमिन

अल्लाह वो है के जो अपनी तमाम मखलूक के अकेले ही निगरानी और हर एक की कमाल ए दरजे हिफाजत करने वाला, नेज उनके हर कौल वा अमल पर गवाह है और उनका घेराव करने वाला है।

8

لْعَزِ ا 
अल-अजीज

अल्लाह वो है की सारी इज्जत इसी के लाएक है और वही इस्के अकेले मुस्तहीक भी हैं, वो जिसे चाहे इज्जत दे, अल्लाह को क़ुव्वत की इज़्ज़त हासिल है, के कोई मख़लूक़ भी अल्लाह पर ग़लबा नहीं पा सकती मेहफूज वा मज़बूत और बे नियाज़ी की इज्जत हासिल है के अल्लाह किसी का मोहताज नहीं है, कुव्वत वा गल्बे की इज्जत हासिल है के कोई चीज भी अल्लाह की इजाजत के बग़ैर ना कुछ कर सकती है और ना ही कुछ कह सकती है।


9

الْجَبَّارُ
अल जब्बार

अल्लाह वह है के जिसका हर इरादा वह चाहत नात नाफिज़ होने वाली है तमाम मखलुकत अल्लाह ही के मां तहत हैं अल्लाह की अजमत वा जलालत के सामने दम बक़ूद और अल्लाह के हुकुम के आगे बिल्कुल बेबस और लाचार अल्लाह ताला हर शिकस्त ए दिल को जोड़ने वाला है फकीर को गनी करने वाला है तंग दस्त को आशीष देने वाला है नेज मरीज को सिफा याबी और मुसीबत ज्यादा को राहत वाह सलामती अता करने वाला है


10

الْمُتَكَبِّر
अल मुताकब्बीर

अल्लाह अजीम है और अपनी तमाम तर बातों और कामों में बुराई से नक्श कामी से भूल चूक से तकावत वा एकतहत से उंग वा नींद से कमजोरी व बेबसी से कोसों दूर है अपनी किसी भी मखलुक पर अदनातारी जुल्म करने से बहुत बुलंद है अपनी झगड़ालू मखलुकत पर पूरा काबू रखने वाला है वह बड़ाई की सिफात से मुतास्सिफ है मखलूक में से अगर कोई बड़ाई कि सिफात को अल्लाह से छीनने की जरूरत करेगा तो अल्लाह इसके टुकड़े-टुकड़े कर देगा और इसे अजाब देगा


11

الْخَالِقُ
अल-खालिक

अल्लाह वो है के जिन्होन अपनी सारी मखलूक को अकेले ही सिर्फ 6 दिनो में पैदा फरमा दिया


12

الْبَارِئُ
अल-बारी

अल्लाह वो है के जो बगैर किसि मिसाल के जिस माखलुक को जैसा चाहा बानाने वाले और उसके वजूद का इजहार करने वाला है।

13

الْمُصَوِّرُ
 अल-मुसववीर

अल्लाह वो है के जो अपनी मखलूक में से हर एक को इस्कि मुनसिब हाल सूरत वा शकल अता करने वाला है

14

الْغَفَّارَ
अल-गफ्फार

ये अल्लाह का ऐसा नाम है के जो अल्लाह के बकसरत अपने बंदो के गुनाहों और इनकी लग्ज़िशों को बकश देने पर दलाला करता है, वो गुनाहों की मुआफ़ी चाहने वाला गुनाहगार को मुआफ़ कर देता।
 

15

الْقَهَّارُ
अल-क़हहार

अल्लाह वो है के जो अपने बंदो को कमाल ए दरजा अपने काबू में रखने वाला और उनमें अपने फरमान का तबे करने वाला है, तमाम मखलूक को अपनी बंदगी पर लगाने वाला, ऐसे  जबर्दस्त गलबे वाला है के तमाम की गर्दने अल्लाह के सामने झुकी हुई और तमांम चेहरे अल्लाह के तबि हैं )

16

الْوَهَّابُ
अल-वहाब

बहुत ज्यादा 'अत्यात के मालिक, अपने बंदो को बिला मुआवेजा अता करने वाला है, और बगैर किसी तमा' वा लालाच के अता करने वाला, नेज बगैर सवाल  के इनाम वा इकराम करने वाला है।

17

الرَّزَّاقُ
अर-रज्जाक

 ये अल्लाह का एक ऐसा नाम है जो अल्लाह के अपनी तमांम मखलोक़ात को बकसरत रोज़ी फरहेम करने वाला होने पर दलाला करता है, अल्लाह के रोज़ी फराहम करने का अंदाज़ है दरजे उमंग और बे-मिसाल है ओ के  इन में रोज़ियां अता करता है, बल्की मखलूक की न फरमानियां और गुनाहों के बा-वजूद में आता करता है।

18

الْفَتَّاحُ
अल-फ़तह

वो अपनी मिल्कियत, रहमत, नेज़ अपनी रोज़ियों के ख़ज़ानों को अपने इल्म वा हिकमत के मुताबिक अपनी मख़लूक़ में जिस पर चाहता है खोल ता है।


19

اَلْعَلِيْمُ
अल अलीम

अल्लाह वो है के जिस के (कामिल) इल्म ने ज़हीर वा बातिन, पोशिदा वा आलानिया, गुज़िष्त, मौजूदा, और मुस्तक़बिल की हर चीज़ का घेराव कर रखा है, और अल्लाह पर तमाम मखलोक़ात में से कोई एक भी चीज छुपी हुई नहीं


20

الْقَابِضُ
अल-क़ाबिद

अल्लाह वो है के जो अपनी मखलूक की रूहोन को कब्ज़ करता है, और वही अपनी ज़बरदस्त हिकमत वा खुदरथ के मुताबिक आजमाने के लिए मखलूक में जिस किसी से चाहे अपने रिज्क को रोकने वाला हैं।


21

الْبَاسِطُ
अल-बासीत

अल्लाह वो है के जो अपनी उमदगी वा फ़याज़ी नेज़ अपनी रहमत से (99 names of Alla) अपने बंदो में जिस की चाह रोज़ी में फ़राखी करता है, और अपनी हिकमत के मुताबिक (इस रोज़ी को पर तंग कर के) अपने गुनाहगार) बंदो की तोबा क़ुबूल करने के लिए अपने दोनो हाथ फैलाता है।


22

الْخَافِضُ
अल-खाफीद

वो के जो मगरूर वा घमंडी लोगों को अतीत वा नीच करने वाला है, और सरकार को जायर करने वाला है।


23

الرَّافِعُ
अर-रफी

लोगों के याहा कमज़ोर वा 'आजिज़ समझे जाने वाला इमामंदार बंदो को सरबुलंदी और बालादस्ती अता करने वाला है।


24

الْمُعِزُّ
अल-मुइज़

अल्लाह वो है के जो अपनी मकलूक में से जिसे चाहता है इज्जत अता करता है।

25

المُذِلُّ
अल-मुजिल

अल्लाह वो है के जो अपनी मखलूक में से जिसे चाहता है जलील कर देता है।

26

السَّمِيعُ
अस-समी'

अल्लाह वो है के जिसे हर आहिस्ता से आहिस्ता तर बात का अपनी समात (यानी सुन्ने की शिफ्त) घेराओ किया हुआ है, और वो हर बुलंद आवाज वा अतीत आवाज को येकसा तौर पर बखुबी सुनता है इसे कोई पुकारे तो उसकी दुआ क़ुबूल भी फ़र्माता है।

27

الْبَصِيرُ
अल-बसीर

अल्लाह वो है के जिस की निगाह ने कायनात की पोशिदा और ज़हीर तमाम मौजूदात का घेराव कर रखा है ख़्वाह कितनी ही माफ़ी तर या जहीर हो, नेज़ वो मकलूक़ ख़्वाह कितनी छोटी या  बड़ी हो।

28

الْحَكَمُ
अल Hakam

अल्लाह वो है के जो अपनी मखलूक के दरमियान निहायत अदल वा इंसाफ से फैसल फरमाता हैं, मैं से किसी एक पर भी अदना तरीन ज़ुल्म नहीं करता, अल्लाह ही ने अपनी किताब नज़िल फरमाई ताकि वो किताब लोगों के दरमियान फैसला कुन हो

29

الْعَدْلُ
अल-अदल

अल्लाह ही हकीकी बादशाह है के जो अपने तमाम बातो और कामों में अदल वा इंसाफ करने वाला शहंशाह है।

30

اللَّطِيفُ
अल-लतीफ

अल्लाह वो है के जो अपनी बनायी कायनात की तमाम मखलोक़ात की सभी बारिकियों को बा-खुबी जानने वाला है लोगों से छुपा हुआ कोई भी मामला अल्लाह से छुपा हुआ नहीं है, ऐसे अपने बंदो में ए  'अनि चुप हुआ) जरा सी खैर (यानी भलाई) और मुनाफा' (यानी फायदा की) चीज इन तक पोहंचते हैं जहां से बंदो को (इन के मिलने का) गुमान भी नहीं होता।

31

الْخَبِيرُ
अल-खबीर

अल्लाह वो है के जो अपनी सारी मखलूक से हर तरह से बा-खबर है, कोई एक जरा भी ऐसा नहीं जो अल्लाह के 'इल्म से बाहर हो।

32

الْحَلِيمُ
अल-हलीम

अल्लाह वो है के जो अपने बंदो को सजा देने की कुद्रत रखने के बा-वजूद में इनकी नफरमानियां पर जलदी सजा नहीं देता, बल्के इन से दरगुजर फरमाते है, और बंदो के मुआफी मांगने पर भी करता हूं।

33

الْعَظِيمُ
अल-अज़ीम

अल्लाह वो है के जो अपनी बा-बरकत ज़ात, ख़ूबसूरत नमो, और बुलंद सिफ़ात में मुतलक़ 'अज़मथ वा बडाई वा तारीखों का मालिक है इसी लिए अल्लाह ने मख़लूक़ पर ये फ़र्ज़ किया है के वो वो अल्लाह करे की' , और अल्लाह के हर अमर (यानि वो काम और बातें जिन्को अपनाने का अल्लाह ने हुकुम दिया है) अपने की और नहीं (यानी वो काम और बातें जिनसे बचने का अल्लाह ने हुकुम दिया है) बच्चों की पाबंदी करें।

34

الْغَفُورُ
अल-गफूर

अल्लाह वो है के जो अपने बंदे के गुनाह पर पर्दा डाल कर इसे अपनी दूसरी मखलूक से छुपाने वाला है, और इसे रूसवाई से बचाने वाले नेज इसे जल्द ही इसके गुनाह पर सजा ना देने वाला है।


35

الشَّكُورُ
अश-शकूर

अल्लाह वो है के जो अपने प्यार बंदो के थोडे अमाल को (अजर वा सआब में) बहुत बढ़ा देते हैं, और उनका बदला दुगना अता करता है, अल्लाह की सिफात-ए-शकूरियत (यानी खादर दा)  ये है के वो बंदे को अपनी शुक्र गुजरी पर साबित कदम रखने वाला, और उसे इता को क़ुबूल करने वाला है।

36

الْعَلِيُّ
अल-अलिय

अल्लाह वो है के जो अपनी ज़ात के ऐसेबार से तमाम मखलोक़ात से बुलंद तर है (इस तरह के वो सातो आसमानके ऊपर अपने अर्श पर मुस्तवी है) और अपने ख़ूबसूरत नामो और बुलंदीन बार से भी  हर किसी में बुलंद हैं।  हर चीज अल्लाह की ताक़त और इक्तेदार के मा-तहेत है, और खुद अल्लाह पर किसी भी मखलूक का कोई इक्तेदार और ग़लबा नहीं है, ख़्वाब अल्लाह की तरफ़ से भेजा हुआ कोई नबी हो या कोई मुकारिब फ़रीश हो या कोई वली हो।

37

الْكَبِيرُ
अल कबीर

अल्लाह वो है के जो अपनी बा-बरकत जात, और बुलंद औसाफ, और बे-मिसाल आफ'आल में सब से बड़ा है,अल्लाह से बड़ी कोई चीज नहीं बल्के अल्लाह के सिवा हर चीज अल्लाह के जलाल और अजमत के सामने निहायत छोटी और पस्त है।

38

الْحَفِيظُ
अल हफीज

अल्लाह वो है के जो अपने फज़ल और एहसान से अपने इमाम बंदो और बंदियों के अमाल-ए-सलेहा की हिफ़ाज़त फरमाता है, वो अपनी क़ुदरत से तमाम मख़लूक़ की हिफ़ाज़त वा रियायत फरमाता है।

39

المُقيِت
अल-मुकीत

अल्लाह वो है के जिन्हो ने तमाम तर रोज़ियाँ और ज़िंदगी गुजारने के अस्बाब पैदा फ़र्मा कर इन्हें बंदो तक पहूँचाने की   खुद ही अकेले ज़िम्मेदारी लेली, वो बंदो को कुवत वा ताक़त पोह्नचाने वाली चीजों के नेज इनके नेक अमालो के मुहाफिज ओर निगरान है

40

الْحسِيبُ
अल-हसीब

अल्लाह वो है के अपने बंदो की तमाम दीनी और दुनियावी जरूरत को, पूरा करने वाला है, और कुसुसन मु'मिनो के लिए (इसकी दीनी वा दुनियावि) जरूरत को पूरा करने के लिए (वाफिर) मिकदार में इन्हे किफायत करने वाली नेमतें अता करने वाला है, और खुद अकेले अल्लाह ही बरोज़-ए-कयामत अपने तमां बंदो से उनके (नेक और बद अमाल) का हिसाब लेने वाला है। 

41

الْجَلِيلُ
अल-जलील

अल्लाह वो है के इसकी शान बड़ी उंची और निराली है।

42

الْكَرِيمُ
अल करीम

अल्लाह वो है के जो बहुत ज्यादा खैर (99 names of Allaऔर अज़ीम एहसान अता करने वाला, जिसे जो चाहे, जैसे चाहे, मांगे और बिना मांगे अता करने वाला है, और (गुनाहगारों को) अपने गुनाहों की मु'आफि मांगने पर माफ करने वाला और इनके ऐबो पर पर्दा डाल कर छुपाने वाला है।

43

الرَّقِيبُ
अर-रकीब

अल्लाह वो है के जो अपनी तमाम मखलूक की हर पोशिदा वा जहीर बात से हर तरह बा-खबर और इनके आमाल को गिन गिन कर रखने वाला, बंदो की आंख के झपक ने से पहले अल्लाह को इस्के झपकने का इल्म है बंदों के दिलों के ख्यालात तक के वो पैदा करने वाला है।

44

الْمُجِيبُ
अल-मुजीब

अल्लाह वो है के जो पुकारने वालों की पुकार को सुनता है और अपने इल्म वा हिकमत के मुताबिक मांगने वालों की हाजत बारारी करने वाला है।

45

الْوَاسِعُ
अल-वासी'

अल्लाह वो है के जिन्की सिफत बहुत ज्यादा है, किसी भी मखलूक के बस की ये बात नहीं के वो अल्लाह की कामहक्ख तारीफ कर सके खातिर, अल्लाह की अजमत वा सल्तनत सब पर वासी है, अल्लाह मगफिरत वा रहमत और फजल वा एहसान बहोत आम है।

46

الْحَكِيمُ
अल-हकीम

अल्लाह वो है के जो तमांम मखलोक़ात को इनकी लायक़ जगह पर रखने वाला है, और अल्लाह की ताबीर में किसी क़िस्म की ख़लल और कमज़ोरी नहीं होती।

47

الْوَدُودُ 
अल-वदुद

अल्लाह वो है के जो अपने पसंदीदा फरमा'बरदार बंदो (यानी औलिया) से मोहब्बत वा तालुक़ का इज़हार (इन मुआफ करके और इन पर इनाम करके) करने वाला है, फिर इनसे राज़ी होने वाला है,  और इनके माल-ए-सालेहा को क़ुबूल करने वाला है, और ज़मीन में अपने दूसरे बंदो के नज़र में पसंदीदा बना देने वाला है।

48

الْمَجِيدُ
अल-मजीद

अल्लाह वो है के जिसके लायक़ ज़मीन वा आसमान का हर फ़क़र वा इज्जत और रफ़ात है।

49

الْبَاعِثُ
अल-बैथ

अल्लाह वो है के जो बा-रोज़ क़यामत तमाम बंदो को इस्की क़ब्रों से उठा कर मैदाने हशर में जजा वा सज़ा के लिए जमा करने वाला है।

50

الشَّهِيدُ
अश-शहीद

अल्लाह वो है के जो अपनी मखलूक पर निगरानी और इनके अमाल पर अकेले ही गवाह है, इस ने खुद ही अपनी ज़ात-ए बा-बरकथ के यकता और बे-मिसाल होने नेज़ अपने कमाल  ए-अदल की  गवाही दी है, नेज़ अल्लाह तआला मोमिनों की सदाक़त की गवाही भी देता है, बंदे अल्लाह की वहदानियत  का इकरार करे और अल्लाह के रसूलों और फरिश्तों पर नेज़ इसकी नाज़िल और किताब-ए-  आखिरत के यकीनन बरपा होकर रहने पर और अच्छी और बुरी तकदीर पर ईमान रखे।

51

الْحَقُّ
अल-हक़्क़

अल्लाह तो वो है के जिन की बा-बरकत ज़ात, ख़ूबसूरत अस्मा वा बुलंद सिफ़ात और मबूद-ए-यकता होने में कोई शक और शुभा तर्ददुद नहीं है, वही अल्लाह सचचा माबूद है और उसके जितने भी दुसरे माबूद हैं तो वो तमाम'बूदान-ए-बतिला है जो दर हकीकत जाहिल मुशरिकों के अपने खुद शकता वा ताराशिदा है।

52

الْوَكِيلُ
अल-वकील

अल्लाह वो है के जिस ने अकेले ही तमाम जहानों की पैदाइश और इनकी ताबीर की जिम्मेदारी ली है, अल्लाह ही पर तमाम मखलूक का भरोसा और एतमाद है। वो अकेले ही तमाम अहले ईमान का बहतरीन कारसाज़ है, वो इमानदार (बंदे) के जिन्होने अल्लाह (99 names of Alla) की तौफीक से अपने तमाम तर मुआमलात अल्लाह के हवाले कर दिया, हर काम की अंजाम देही पर अल्लाह से मदद तलब करते रहे अल्लाह से तौफ़ीक मिलने पर अल्लाह का शुक्र अदा किया, और आजमाइश और मुसीबत के बाद (अल्लाह की लिखी तकदीर पर) रज़ा-मंदी का इज़हार करके अल्लाह के फ़ैसले से ख़ुश हो गए।

53

الْقَوِيُّ
अल-क़व्विय

अल्लाह वो ज़ात-ए-बा-बरकत है के जिसे कमाल-ए-दरजे की मशियत के साथ साथ क़ुदरत मुतलक़ भी हासिल है।

54

الْمَتِينُ
अल-मतीन

अल्लाह वो ज़ात ए बा-बरकत है के जो अपनी क़ुदरत वा क़ुव्वत में बे-मिसाल और ज़बरदस्त है, अल्लाह (ﷻ) को अपनी शान के लायक किसी भी काम में ना कोई दुस्वारी होती है, ना तकलीफ होती है।  , ना इकताहत होती है ना थकावट इसे छूती है।

55

الْوَلِيُّ
अल-वलिय

अल्लाह वो है के जो अपनी मखलूक के तमाम कामो के खुद अकेला ही निग्रां है, और कुल कायनात का अकेला ही ताबीर करने वाला है, वो अपने औलिया के मदद'गार और उनके पुश पाना है।

56

الْحَمِيدُ
अल-हमीद

अल्लाह वो है के जो आपके तमाम खूबसूरत अस्मा वा बुलंद सिफात और उमदा अफल में महमूद (काबिल-ए-तारीफ) है, अल्लाह ही की आली शान ज़ात है के जिस्की आसानी और तंगी नेज़ सकती में और अजमाइस में खूब तारीफें की जाति है  हर तरह की तारिफें इशी के लायक है और वही इन तारीफों के अकेला मुस्तहीक भी है, क्यों के वो हर कमाल के साथ मुतासिफ है।

57

الْمُحْصِي
अल-मुहसी

अल्लाह वो है के जो हर चीज को अपने इल्म से घेेर लेने वाला है, कायनात में कोई एक चीज भी अल्लाह से पोशीदा नहीं है।

58

الْمُبْدِئُ
अल-मुबी

अल्लाह वो है के जो बगैर किसी मिसाल के कायनात की हर चीज को आदम से वजूद में ले आने वाला है।

59

الْمُعِيدُ
अल-मुईद

अल्लाह वो है के जो तमाम मुर्दों को बरोज़-ए-कयामत उनकी क़ब्रों से उठा खड़ा करेगा।

60

الْمُحْيِي
अल-मुह्यि

अल्लाह वो है के जो मखलोक़ात को मौत देने के बाद इन्हें ज़िंदा करने वाला है।


61

اَلْمُمِيتُ
अल-मुमीत

अल्लाह वो है के जो जिन्दो को मौत देने वाला है।

62

الْحَيُّ
अल-हय्यी

अल्लाह वो है के जो खुद एक ज़िंदा ज़ात है, और हर एक को ज़िंदगी अता करने वाला है (और अल्लाह वो है के जिन्हे कभी मौत नहीं आने वाली)।

63

الْقَيُّومُ
अल-कय्यूम

अल्लाह वो है के खुद कायम है और अपनी तमाम मखलूक को थामने वाला है।

64

الْوَاجِدُ
अल-वाजिद

अल्लाह वो है के जिन्हें  किसी भी चीज की हाजत नहीं) जब के कायनात में मौजूद हर चीज अल्लाह की मोहताज है।

65

الْمَاجِدُ
अल-माजिद

अल्लाह वो है जो हर तरह की लायक़ तारीफ़ बुज़रूगी के मुस्तहक़ है।

66

الْواحِدُ
अल-वाहिद

अल्लाह वो है के जो अपने तमाम कमालात में मुनफर्द (यानि निराला और बे-मिसाल) और येकता है, और इनमे इस्का कोई शरिक नहीं और न इसकी मसल वा नसीर है, इस से ये लाजिम ठहरता है के सिरफ अल्लाह ही की  बंदगी वा इबादत की जाए और उसके साथ किसी भी मखलूक को इस्का शरिक न ठहराया जाए।

67

اَلاَحَدُ
अल-अहद

 एक

68

الصَّمَدُ
अस-समद

अल्लाह वो है के जो अपनी सरदारी और बुजरूगी में कमाल दरजे पर फाइज है और मखलूक अपनी सहदीद जरूरत मंदी की वजह से अपनी जरूरतों के लिए अल्लाह ही की तरह को लपकती है, अल्लाह की शान तो ये है के को सब को खिलाता पिलाता ओर इन्हे अपनी रोज़ियों से नवाज़ता है, और खुद में खाने पीने की कोई हाज़त नहीं।

69

الْقَادِرُ
अल-क़ादिर

अल्लाह वो है के जो अपनी तमाम मखलूक पर पूरी कुदरत रखने वाला है जमीन वा आसमान की कोई चीज अल्लाह को आजिज वा बेबस नहीं कर सकती, वो हर चीज की तकदीर लिखने वाला है।

70

الْمُقْتَدِرُ
अल मुक्तदिर

अल्लाह का ये एक ऐसा नाम है जो अल्लाह तआला की कुदरत के कमाल और इंतहा पर दलाला करता है के वो अल्लाह अपने इल्म-ए-सबिक के मुताबिक अपने फैसले नाफीज करने और तकलीक करने (या'नी पैदा करने पर)  कामिल कुदरत रखता  है।

71

الْمُقَدِّمُ
अल-मुकद्दिम

अल्लाह वो है के जो अपनी हिकमत (यानी दानायी) वा मशियत (अपनी चाहत) के मुताबिक अपने बंदो में से जिसे चाहाता है आगे करता हैं, और इन्हे इनकी मुनासिब जगह पर रखता है, और अपने इलम वा फजल के मुताबिक मखलोकात को एक  दूसरे पर मुकद्दम करने वाला है।

72

الْمُؤَخِّرُ
अल-मुअख़खिर

अल्लाह वो है के जो तमाम मखलोक़ात को अपनी अपनी हैसियत में रखता है और अपनी हिकमत के मुताबिक जिसको चाहता है पीछे कर देता है, और बंदो से अज़ाब को मुअख्खिर  करता है यानी अपने अजाब को टाल  देता है  ता के बंदे तौबा वा इस्तेगफार में जल्दी करे।

73

الأوَّلُ
अल-अव्वल

अल्लाह वो है के जिस्से पहले कोई चीज नहीं थी बलके तमाम मखलोक़ात तो अल्लाह के इन्हें पैदा करने के बाद वजूद में आई, और जहान तक अल्लाह की जात-ए-आला का ताल्लुक है तो अल्लाह की कोई इब्तेदा नहीं बल्के अल्लाह तो अजल से है  (यानि हमेंसा से है और हमेसा रहेगा)।

74

الآخِرُ
अल-आखिर

अल्लाह वो है के जिस के बाद कुछ नहीं वो अकेला अल्लाह ही बाकी रहने वाला है, और वो जमीन पर मौजूद हर चीज को खतम करने वाला है, और फिर बिल-आखिर हर एक अल्लाह ही की तरफ लौटकर जाने वाले है अल्लाह (ﷻ) के वजूद की कोई इंतहा नहीं (यानी दुनिया में अपनी मखलोक़ात से परदो के परे सब से खुद को मख़फ़ी वा पोशीदा रखता के बंदे इसकी नूरानी वा ख़ूबसूरत चेहरे को देखने के सोख के लिए उमर भर इसी की इबादत करते रहे क्यों की तमाम बंदो की इबादतों की घाएत वा मकसद-ए-हकीकी अल्लाह के चेहरे का दीदार ही तो है अल्लाह हम सबको अपने चेहरे का दीदार और इसकी लज्जत नसीब फरमाये (आमीन)।


75

الظَّاهِرُ
अज़-ज़ाहिर

अल्लाह वो है जो बज़ार-ए-खुद हर चीज़ के ऊपर बुलंदी पर (अपने अर्श पर मुस्तवी) है, और अल्लाह की कोई एक मख़लूक़ भी अल्लाह से बुलंद नहीं, वो हर चीज़ पर ग़ालिब है, और इसे अपने (इल्म से) घेरा हुआ है।

76

الْبَاطِنُ
अल-बातिन

अल्लाह वो है के जो जिस से पोशीदा तर कोई नहीं (यानि अल्लाह ने अपने नूरानी हिजाब में खुद को मखलूक से पोशीदा रखा), वो अपने (इल्म से) हर एक से करीब है, और हर चीज का (अपने इल्म से)  घेराव किया हुआ है लेकिन वो दुनिया वालों से (अपने पर्दो के) पीछे पोशीदा है, (और अपने इबादत गुजारों को बा-रोज़ क़ियामत अपने ख़ूबसूरत नूरानी चेरे के दीदार से मुशर्रफ़ फरमाएगा।

77

الْوَالِي
अल-वाली

अल्लाह मालिक-ए-दो जहान और हर चीज को इस्के अंजाम कर तक पहुंचाने का जिम्मा लेने वाला है

78

الْمُتَعَالِي
अल-मुताअलीक

अल्लाह वो है के जिस के 'उलू (यानी बुलंदी) के सामने हर मखलूक जलील वा पस्त है, और अल्लाह से ऊपर कोई चीज नहीं बलके हर चीज इसे नीचे और इस के गलबे और इक्तेदार के सामने निहायत हकीर ओर मामूली है

79

الْبَرُّ
अल बर्र

अल्लाह वो है के जो अपनी मख़लूक़ पर बेहद वा बे-हिसाब एहसान करने वाला है, वो क़दर नवाज़ता है के कोई अल्लाह की तमाम नेमतों को गीनने या शुमार करने की भी इस्ततात, नहीं रखता वो अपने वादे का सच्चा है, अपने बंदो से दर-गुजर फरमाता है, और इनकी नुसरथ वा हिमायत करता है, और बंदो से इनकी मा'मूली और छोटी नेकियों को कुबूल फरमाता है और इसके अजर वा सवाब को बढ़ा है।

80

التَّوَابُ
अत-तवाब

अल्लाह वो है के जो अपने बंदो में जिस को चाहो तौबा की तौफीक दे कर इनसे इनकी तोबा को क़ुबूल फरमाता है।

81

الْمُنْتَقِمُ
अल-मुंतकिम

अल्लाह वो है के जो अपने मुजरिम बंदो से अकेला ही इंतकाम लेने वाला है।

82

العَفُوُّ
अल-अफुव्व

अल्लाह वो है के जो अपने बंदो के गुनाहों को मिटाता है और इनसे दर-गुजर फरमाता है, और इनके (गुनाह पर एक दम सजा नहीं देता) हालाके बंदा सजा का मुस्तहिक ठहर चुका  होता है।

83

الرَّؤُوفُ
अर-राऊफ़

ये अल्लाह का ऐसा नाम है जो (सिफत-ए-रैफत से मक़ूज़ है) (यानि ये अल्लाह की शफ़क़त और नर्मी) पर दलालत करने वाली सिफ़त से है, (अल्लाह की इस सिफ़त का दरजा) अल्लाह की रहमत से भी  बढ़ कर है, दुनिया में अल्लाह (ﷻ) तमाम मखलोक़ात पर राऊफ हैं और आखिरत में अपने खास बंदो यानि (इमान वालों के लिए) राऊफ़ होगा।

84

مَالِكُ الْمُلْكِ
मालिक-उल-मुल्क

अल्लाह वो है के जो दुनिया और आखिरत में हकीकी फरमा रवा और जी-शान इंसाफ परवर बादशाह है और वही अकेला बादशाहत के मुस्तहिक भी है, क्योंकी मखलूक की पैदाइश के आगाज में बादशाहत इसी की थी और इसके सिवा कोई नही था और जब मखलूक ख़तम होगी तब भी बादशाहत अल्लाह ही की होगी किसी काम से रोकने या किसी काम से मना'करने का हक अल्लाह ही को है, वो अपने हुकुम और फेल में मखलोक़ात में अपनी हिकमत वा 'अदल के मुताबिक फ़ैसला करने वाला है सल्तनत को चलाने में और अपनी मखलूक का ख़ूब ख़याल रख ने में अल्लाह जैसा कोई नहीं।

85

ذُوالْجَلاَلِ وَالإكْرَامِ
जुल-जलाली-वल-इकराम

अल्लाह वो है के जिस्मे 'अज़मत वा बड़ाई की तमाम सिफत बा-दरजे अव्वल मौजूद है, के अल्लाह का इल्म कामिल और हर चीज को सामील है, हर चीज पर ग़ालिब, हर एक से बढ़ कर कुव्वत वाला बुजुर्गी वाला है  अपने बंदो में से जिसे चाहता है बेहद वा बे-हिसाब अता करने वाला है, और इसके खज़ानों में बा-वजूद इसफ़याज़ी और' अता की कुछ भी कमि नहीं आती, अपने इमांनदार बंदो के 'ऐबो की परदा पोसी करने वाला है,  इन्हे उन नेकियों के भरपुर बदला देने वाला है और अपने न फरमान बंदो को मोहलत देता है और अपने 'अद्ल से इनका मुहासेबा करने वाला है।

86

الْمُقْسِطُ
अल-मुक्सित

अल्लाह वो है के जो अपनी हर बात और हर काम में कमाल-ए-दरजे का इंसाफ करने वाला है।

87

الْجَامِعُ
अल-जामी'

अल्लाह वो हैं के जो अपनी सारी मखलूक को फना करने के बाद में बा-रोज कयामत जमा करने वाला है।

88

الْغَنِيُّ
अल-घनीय

अल्लाह वो है के जो अपनी कमाल-ए-सिफत और कमाल-ए-मुतलक की वजह से कभी किसी के मोहताज नहीं रहा और ना कभी मोहताज होगा, (वो हर एक से बे-नियाज है और तमाम मखलोकात अल्लाह की मोहताज है और अल्लाह के ओनाम वा इकराम और मदद वा नुसरत की हर लम्हे जरूरत मंद है।

89

الْمُغْنِي
अल-मुग़नी

अल्लाह वो है के जिसे चाहा अपनी मखलूक में से बे परवाह कर देने और अपने ज़िक्र से इसे इतमीनान वा सुकुन अता करने वाला है।

90

اَلْمَانِعُ
अल-मानी

अल्लाह वो है के जो अपनी मखलूक में जिस से चाहता है अपने खज़ानों में से अपनी नवाज़िशों को रोक लेता है।

91

الضَّارَّ
अद-दरार

अल्लाह वो है के जो अपनी मखलूक में से जिसे चाहे जरार पोहचा कर इसे आजमाता है।

92

النَّافِعُ
अन-नफ़ी'

अल्लाह वो है के जो अपने बंदो में से जिसे चाहे नफा देकर इसे आजमाता है।

 93

النُّورُ
अन-नूर

अल्लाह वो है के जो खुद नूरानी चेहरे वाला है और अपने नूर से हर गुमराह को राह दिखाने वाला, और जमीन वा आसमान का नूर पैदा करने वाला है।

94

الْهَادِي
अल-हादी

अल्लाह वो है के जो अपने बंदो में से जिसे चाहे नेक और सीधी राह की तरफ रहनुमाई करने वाला और मंजिल-ए-मकसूद तक में पोहनचाने वाला है।

95

الْبَدِيعُ
अल-बदी'

अल्लाह वो है के जो खुद बे-मिसाल हैं और अपनी तमाम तर मखलूक को अपने इल्म वा कुदरत के मुताबिक बगैर किसी नमूने और मिसाल के पैदा करने वाला है।

96

اَلْبَاقِي
अल-बाक़ी

अल्लाह वो है के जो हमेशा बाकी रहने वाला है कभी खतम न होगा और अपनी मखलूक में से जिसे चाहे बाकी रखने वाला है।

97

الْوَارِثُ
अल वारिस

अल्लाह वो है के जो अपनी मखलूक को फना करने के बाद भी बाकी रहने वाला है, और हर फना होने वाली मखलूक को अल्लाह ही के सामने पेश होना है, अल्लाह ने बंदो को जो कुछ दिया है वो अल्लाह के सुपुर्द करदाह अमानते है जिनकी बाबत अल्लाह बाजपुरस फरमाने वाला है।

98

الرَّشِيدُ
अर-रशीद

अल्लाह वो है के जो अपने बंदो में से जिसे चाहता है सीधी राह दिखाने वाला है।

99

الصَّبُورُ
अस-सबूर

अल्लाह वो है के जो अपने ना-फरमान बंदो की ना-फरमानियों पर कमाल दरजे का सबर करने वाला है, उनमें जलद ही इनके गुनाहों पर अजाब नहीं देता है इनहे मोहलत देता है के अपनी ना-फरमानियों से और बद-अमालियों से बाज़ आकर अल्लाह से तौबा वा इस्तेगफार करने में जल्दी करे।



नोट: लिखने में हमसे कोई खता हो गयी हो तो जरुर बा-दलील हमारी इस्स्लाह करे, जज़ाकल्लाह खैर।


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अस्सलामू अलैकुम